
ज्ञान का उपयोग कहां करना है, इसी समझ के अभाव में संसार के सभी जीव दुखी है। .मुनि श्री आस्तिक्य सागर.
13 दिनों की धर्म प्रभावना करने के पश्चात मुनि संघ का शाम को हुआ विहार,
खंडवा।। समाज के सचिव सुनील जैन ने बताया कि 13 दिनों की धर्म प्रभावना करने के पश्चात मुनि श्री आस्तिक्य सागर एवं विनियोग सागर जी महाराज का रविवार शाम घा
सपुरा मंदिर से पांजरिया की ओर विहार हुआ। रविवार को प्रातः मुनि संघ द्वारा शांति धारा के साथ शांतिनाथ मंडल विधान की पूजा मैं शामिल हुए. इस अवसर पर प्रवचन देते हुए मुनि श्री आस्तिक्य सागर जी महाराज ने कहा कि प्रत्येक जीव ज्ञान गुण से सहित है।हमे अपने ज्ञान का उपयोग कहाँ, कब और कैसे करना है यह समझना आवश्यक है।इसी समझ के अभाव में आज संसार मे सभी जीव दुखी हैं।दैनिक जीवन मे सिर्फ स्कूली शिक्षा से प्राप्त ज्ञान को ही पर्याप्त मान लिया जाता है लेकिन सम्यक ज्ञान का महत्व इस स्कूली ज्ञान से कोसों ऊपर है।सम्यक ज्ञान जहां वैराग्य और संसार सागर से पार लगाने की शिक्षा देता है वही यह सम्यक दर्शन और सम्यक चारित्र धारण की प्रेरणा भी देता है। मुनि श्री ने धर्मसभा मे जैन धर्म के प्रमुख सिद्धांत रत्नत्रय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन धर्म मे दर्शन,ज्ञान और चारित्र धारण को रत्नत्रय कहा गया है।ज्ञान प्राप्ति तो हम कर लेते है लेकिन अपनी जीवनचर्या में उसका समीचीन पालन सब लोग नहीं कर पाते।चारित्र का सम्यक पालन सिर्फ दिगम्बर श्रमण परम्परा में ही दिखाई देता है।आगम,ग्रन्थों और जिनवाणी में कही गयी बातों को बिना शिथिलता के अपने जीवन मे उतारना ही सम्यक चारित्र है।
मुनि सेवा समिति खण्डवा के प्रचार प्रमुख सुनील जैन प्रेमांशु चौधरी ने बताया कि मुनि श्री ससंघ विगत 13 दिनों से खण्डवा में विराजमान होकर धर्म प्रभावना कर रहे थे।मुनि संघ द्वारा मुनिसुव्रतनाथ मन्दिर नवकार नगर,पोरवाड़ धर्मशाला सराफा में धर्म प्रभावना करने के बाद महावीर जिनालय घासपुरा में अपने
प्रवचन,आहारचर्या,स्वाध्याय के माध्यम से प्रभावना की गई। मुनि संघ का चातुर्मास जलगांव महाराष्ट्र में होगा।
**रविवार शाम खण्डवा से विहार**
लगभग एक पखवाड़े तक खण्डवा में ग्रीष्मकालीन वाचना पूर्ण कर मुनि ससंघ आज शाम 5.30 बजे जैन मंदिर घासपुरा से बुरहांनपुर की तरफ विहार हुआ।रात्रि विश्राम ग्राम पांजरिया में हुआ। एवम सोमवार प्रातः 8:30 बजे पंधाना नगर प्रवेश होगा।जहां मुनि ससंघ के मंगल प्रवचन एवम आहारचर्या सम्पन्न होगी रात्रि विश्राम के पश्चात 10 जून मंगलवार को प्रातः पंधाना से बुरहानपुर के लिए विहार होगा।